उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी देना चाहता हूँ ,जो ... उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी...
अंगारों के नीचे की राख उड़ चली अंगारों के नीचे की राख उड़ चली
राख हो कर खाक हो गये है ख्वाब सारे, तू अंगारों को फूंककर तो देख राख हो कर खाक हो गये है ख्वाब सारे, तू अंगारों को फूंककर तो देख
जब भी कोई रोता बच्चा लोरी या मृदु थाप हुआ मैं। बंद हुआ अब सैर-सपाटा गृहस्थी का परिमाप हुआ मैं। जब भी कोई रोता बच्चा लोरी या मृदु थाप हुआ मैं। बंद हुआ अब सैर-सपाटा गृहस्थी...
पूरा हो ना सका सपना, सबकी दुनिया बसाने का फिर भी यदि महसूस हो, हो सके तो लौट आना पूरा हो ना सका सपना, सबकी दुनिया बसाने का फिर भी यदि महसूस हो, हो सके तो लौट आना
सर-सर बहती हूँ इसलिए सरिता कहलाती हूँ। सर-सर बहती हूँ इसलिए सरिता कहलाती हूँ।